दैनिक श्री सत्यनारायण व्रत अनुष्ठान द्वारा सर्वेभावंतु सुखीना की भावना को ईश्वर को निवेदित करना.
सत्यस्वरुप परमात्मा की महता से जन सामान्य को परिचित कराते हुए सभी के नृत्य कर्मो मे सात्विक कार्यो की व्रधि कराना.
नैमिशरणाए जो ऋषि मुनियो की तपिस्थली के नाम से जगत विख्यात है यहा आये हुए हर उस व्यक्ति की सहयता करना जो यहा तपस्या अथवा ईश्वर प्राप्ति के उदेश्य से आता है.
आश्रम परिसर को पूर्ण स्वच्छ निर्मल एवं साधना योग्य बनाना ताकि इच्छुक साधको को अनुकूल वातावरण प्राप्त हो सके
कलि रुपी अंधकार मे भटक रहे मायावादी सूर मनुष्य को सत्यनारायण रूपी प्रकाश पुंज से पुनः जोतिर्य्मये करना.
पुराणिक .क्षेत्र नैमिषारय के पौराणिक स्थलों का रक्षा करना ताकि सनातन धर्म को द्रढता प्राप्त हो सके.
जिस पवित्र स्थलों पर शैनकादित ऋषियो ने महर्षि श्री सूत जी के द्वारा पुराणो एवं शास्त्रो का ज्ञनुप्देश प्राप्त किया उस दिव्या स्थलों पर नित्य दिव्य प्रवचन प्रारंभ करना.
शॉन कादि ऋषियो तुल्य बाहर से आये श्रोताओ के लिए एक दिव्य छायादार कथा स्थल निर्मित करना.
संत ऋषियो एवम भक्तो के ठहरने के लिए उचित निवास स्थल का निर्माण कराना.
ऋषि स्थल पर गौ-रक्षण के लिए गौशाला का निर्माण कराना